Who Am I ? - In Hindi
मैं कौन हूं?
( Who Am I ? )
आपको अगर याद हो, तो जब आप पैदा हुए थे आपको यह तक नहीं पता था कि यह मेरे माता-पिता है, या यह मेरा शरीर है, मेरे कान है, मेरे बाल हैं! तो इसका अर्थ तो बिल्कुल स्पष्ट है कि मैं यह शरीर नहीं हूं !
तो मैं हूं कौन ( Who Am I )?! सच बोलूं तो, जिस भी व्यक्ति से यह प्रश्न पूछो वह अपने आप को समझदार दिखाने के लिए एक ही उत्तर देता है की- मैं एक आत्मा हूं! जो की बिल्कुल उचित है!
पर बात यह है कि; क्या हम सब यह बात सच में अपने ऊपर अमल कर रहे हैं? क्योंकि, आज के जमाने में हर कोई खुद को समझदार मानता है और दूसरों को ज्ञान बाटता है, खुद पर कभी भी अमल नहीं करता! वह व्यक्ति खुद अशांत रहता है, उसका मन विचलित रहता है! फिर ऐसे ज्ञान का क्या फायदा?
चलिए इस बात को ध्यान से समझते हैं!
हमारी पांच इंद्रियां होती है, जिनकी सहायता से हम अपना जीवन व्यतीत करते हैं; आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा!
आंख:
एक बार को सोचिए, कि आज आपकी आंखें ना होती आप उन असहाय लोगों की तरह होते , जिनकी बचपन से ही आंखें नहीं होती! मैं मानती हूं की आंखों के बिना आप इस खूबसूरत दुनिया को नहीं देख पाते पर आप अपना जीवन और लोगों की तरह ही व्यतीत करते; आपको थोड़ी मुश्किलों का सामना तो करना पड़ता पर आप जिंदा रहते! तो इसका अर्थ तो निश्चित है कि आप आंखें नहीं है या यूं कहूं, कि यह आंखें आपका अंग नहीं है, ध्यान दीजिएगा आपके शरीर का तो अंग है पर आपका अंग नहीं है! मुझे बताइए, जब आपकी आंखों में कुछ चला जाता है तो आप क्या कहते हैं?
एक सामान्य व्यक्ति की तरह आप भी यही कहते होंगे कि "मेरी आंख में कुछ चला गया है"
तो इस बात से यह तो निश्चित है कि, यह आंखें हमारे लिए उतनी महत्वपूर्ण नहीं है जितना हम इन्हें समझते हैं! कुछ लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे, पर यह सच है कि इन आंखों के न होने से आप नहीं मरेंगे!
कान:
आइये अब चलते हैं हमारे कानों की तरफ, जी हां जिससे हम सुनते हैं! अब सोचिए की नहाते वक्त आपके कान में पानी चला गया है और आपका कान बंद हो गया है ;आप सुन नहीं पा रहे हैं, आपको कानों में दर्द का भी अनुभव हो रहा है; पर क्या इस सब के बाद आप जिंदा है? जी हां, आप जिंदा है! तो इसका मतलब साफ है कि यह कान भी आपके शरीर का अंग है ना कि आपका अंग! तो इसका अर्थ यह भी निकल कर आता है कि अगर हम अपने जीवन में कुछ ना भी सुने तो हम जिंदा ही रहेंगे! जी हां आपने बिल्कुल सही समझा कि हमारे कान हमारी आंखों की तरह ही इतने महत्वपूर्ण नहीं है!
नाक:
अब चलते हैं हमारी नाक पर, एक बार सोचिए कि आपको जुकाम हो रहा है और इस कारण आपकी नाक बंद हो गई है; तो क्या आप फिर भी जिंदा है? उत्तर है - हां! और अगर हमारी नाक ज्यादा दिनों तक बंद रहेगी, तो आपने देखा होगा कि हमें उस अनुभव की आदत हो जाएगी! हम अपने काम में व्यस्त हो जाते हैं और ध्यान अपनी नाक से हटा लेते हैं या यू कहूं कि जो हमें इस वजह से परेशानियां हो रही होती है उस पर हम ज्यादा ध्यान नहीं देते! इसका अर्थ साफ है कि अगर हमारे पास यह नाक नहीं भी होती, यह हमारे पास वह समर्थ नहीं होता, तो भी हम जिंदा रहते!
जीभ:
सोचिए, आपके पास गरमा गरम स्वादिष्ट खाना आया; और आपको बहुत तेज भूख लग रही थी तो आपने बिना सोचे समझे वह खाना जल्दी से खा लिया; आपको पता ही है उसके बाद क्या होता है; हम बोलते हैं कि "हमारी जीभ जल गई" फिर हमें उसके बाद किसी भी चीज का स्वाद आना बंद हो जाता है! पर थोड़े दिनों बाद हमें उसकी भी आदत हो जाती है और हम अपने कार्यों में व्यस्त हो जाते हैं! मतलब हमारी जीभ का भी हम पर इतना प्रभाव नहीं पड़ता!
त्वचा:
त्वचा को हम इंग्लिश में स्किन (skin) कहते हैं! जब हमें कोई छुता है तब हमारी त्वचा पर हमें महसूस होता है; तो आप मानिए, कि आपके हाथ का कुछ हिस्सा आपने बहुत देर से ठंडे पानी में रखा हुआ है और वह एकदम सुन हो गया है! तो अब जब आप हाथ बाहर निकलेंगे तब अगर आप उसे छुएंगे, तो आपको कुछ भी महसूस नहीं होगा! पर आप अपने आप को अभी भी जिंदा ही पाएंगे! इसका अर्थ साफ है कि और इंद्रियों की तरह यह भी हमारे जीने के लिए इतनी महत्वपूर्ण नहीं है!
मैं आशा करती हूं अब तक तो आप यह समझ ही चुके होंगे कि "हम यह शरीर नहीं है!"
फिर हम कौन हैं ( Who Am I )!?
चलिए थोड़ा और आगे बढ़ते हैं इन सब इंद्रियों के बाद हम पर एक और चीज हावी होती है - जो कि हमारे स्वयं के विचार हैं! अब आप सोचेंगे कैसे!? तो जब आप यह आर्टिकल/ ब्लॉग (article/blog) पढ़ रहे हैं तो भी आप बहुत कुछ विचार कर रहे हैं! मैंने सही कहा ना? और हमारी जिंदगी में ऐसी बहुत सारी परिस्थितियों आती हैं जब हमारा मन बहुत विचलित हो जाता है और हमें कुछ समझ नहीं आ रहा होता की क्या सही है, क्या गलत है! वह सब हमारा एक ही बात पर जरूरत से ज्यादा विचार करने से होता है!
या अगर आप कभी भी ध्यान लगाने बैठे हो, तो आपको बहुत सारे विचार आने लगते हैं और आप ध्यान नहीं लगा पाते! यह विचार हम पर हावी होने की कोशिश करते रहते हैं; पर ध्यान करते समय एक या दो सेकंड के लिए आप ऐसा अनुभव करते होंगे की विचार आने बंद हो रहे हैं, और उस समय आपको बहुत आनंद मिलता होगा!
तो आप इसी तरह ध्यान लगाने का प्रयास कर के अपने आप को जान सकते हैं!
अगर आप मेरे साथ यहां तक ध्यान पूर्वक आए हैं और अगर अपनी आंखें बंद करके जो जो मैंने कहा यह सब अनुभव किया है, तो आप थोड़ा बहुत समझ पा रहे होंगे कि हम इस शरीर से परे, इस दुनिया से अलग, इस ब्रह्मांड की सबसे शुद्ध ताकत, आत्मा है!
आपको बस जो जो मैंने कहा है यह सब ध्यान में रखकर, और इस सच को स्वीकार कर के - की इस दुनिया में सब कुछ नश्वर है जिसमें हमारा शरीर भी आता है, अपने अंदर झांकना है!
इन विचारों और इन इंद्रियों से परे रख कर खुद को देखना है, उस एनर्जी को महसूस करना है ! और जैसे ही आप यह करेंगे, तो जो आप महसूस करेंगे - उसे थॉटलेस स्टेट ( thoughtless state) कहते हैं मतलब जब आपके दिमाग में कोई भी विचार नहीं होता!
और अगर आप यह अनुभव कर पा रहे हैं, तो आपको बहुत-बहुत बधाई हो!! क्योंकि इसी को हमारे ग्रंथो में सहज समाधि कहा गया है! यहां पर हम उस एनर्जी को महसूस करते हैं जो कि स्वयं भगवान है जिसे हम आत्मा कहते हैं और अंग्रेजी में सोल (soul) कहते हैं! इसीलिए कहते हैं की "मैं ही ब्रह्मा हूं!"
हम चाहे तो इस दुनिया में कुछ भी बना सकते हैं क्योंकि हममें वह भागवत ताकत है जो कि स्वयं भगवान की ताकत है!
और इसी ताकत की वजह से हम सब कुछ कर पाते हैं! कुछ लोग इस ताकत का दुरुपयोग कर रहे हैं पर कुछ लोग इस ताकत का सदुपयोग भी कर रहे हैं! तो मैं आशा करती हूं, कि आप इस ताकत का सदुपयोग करेंगे! राधे-राधे!
We hope this article helped you to understand Who Am I ?
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