प्रेम क्या होता है? - What Is Love ?
In this article :
- प्रेम क्या होता है?
- सच्चे प्रेम के क्या-क्या संकेत होते हैं?
- क्या प्रेम का इस संसार में कोई अस्तित्व है?
- हम किसको प्रेम समझते हैं?
- हमारा प्रेम कोई क्यों समझ नहीं पाता ?
- सच्चा प्रेम किससे हो सकता है?
प्रेम क्या होता है? ( What Is Love ? )
प्रेम इस संसार का सबसे शुद्ध भाव है! प्रेम में किसी को बांधा नहीं जाता बल्कि स्वतंत्र किया जाता है क्योंकि इस संसार में ऐसा कोई भी जीव नहीं होगा जिसको स्वतंत्रता पसंद नहीं होगी! और प्रेम में आपके प्रेमी की पसंद ही सबसे महत्वपूर्ण होती है! प्रेम एक ऐसा भाव है जिसमें आपको आपके प्रेमी को खोने का कोई भय नहीं होता क्योंकि अगर प्रेम सच्चा है तो आपका प्रेमी किसी भी परिस्थिति में आपसे दूर नहीं जा सकता! प्रेम में ईर्ष्या का भी कोई स्थान नहीं होता, ना ही अहंकार, मोह, क्रोध और अन्य विकारों का स्थान होता है! प्रेम आनंत है, शुद्ध है!
क्या प्रेम का कोई अस्तित्व है इस कलयुग में? क्या हम मनुष्यों के बीच में प्रेम हो सकता है? काफी लोगों का उत्तर हां ही होगा परंतु यह सत्य नहीं है! इस कलयुग में सच्चा प्रेम नहीं है! दो मनुष्यों के बीच में सच्चा प्रेम नहीं हो सकता! बहुत सारे लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे किंतु यही सत्य है, हमें इस सत्य को स्वीकार करना ही होगा! आईए, जानते हैं कैसे!?
सच्चे प्रेम के क्या-क्या संकेत होते हैं?
पहला संकेत- प्रेम आनंत होता है अर्थात प्रेम कभी भी खत्म नहीं हो सकता!
दूसरा संकेत - प्रेम में कभी भी दुख का सामना नहीं करना पड़ता; प्रेम में बस खुशियां ही खुशियां होती है! प्रेम आनंद का सागर होता है!
तीसरा संकेत - प्रेम कभी भी कम नहीं हो सकता; समय के साथ-साथ वह हमेशा बढ़ता ही रहता है!
चौथा संकेत- प्रेम में अपने प्रेमी से ईर्ष्या नहीं होती; उसकी खुशी में ही हमारी खुशी होती है! वह अगर किसी और से प्रेम करता है, तो हमें उससे दुख नहीं पहुंचता बल्कि उसे खुश देखकर हमें और खुशी होती है!
पांचवा संकेत - प्रेम में हमें अपने प्रेमी से कुछ नहीं चाहिए होता; प्रेम में हमेशा दिया जाता है और लेने की कोई चाह नहीं होती चाहे वह फिर अपने प्रेमी का समय ही क्यों ना हो! इसका साफ मतलब यह है कि प्रेम निस्वार्थ होता है!
क्या प्रेम का इस संसार में कोई अस्तित्व है?
इन सब संकेतों से यह तो निश्चित है कि दो मनुष्यों में ऐसा प्रेम हो ही नहीं सकता क्योंकि हम बस अपने स्वार्थ के लिए प्रेम करते हैं; जब तक सामने वाला व्यक्ति हमारी कही बातों को सुन रहा होता है और उसको गंभीरता से ले रहा होता है तब तक हम उसके साथ खड़े होते हैं परंतु जैसे ही वह हमारी बातों को सुनना बंद कर दे तो हमें क्रोध आ जाता है और हम उसे उससे दूर जाने की धमकियां देने लगते हैं! हमें बस अपनी इंद्रियों की तृप्ति से मतलब होता है! क्या यही प्रेम है? बिल्कुल नहीं! ( then, What Is Love ? )
पर अगर आपने ध्यान से देखा हो अपने आसपास,आजकल ऐसा ही प्रेम देखने को मिलता है जिसे प्रेम का नाम देने में ही प्रेम का बहुत बड़ा अपमान है! और यह भी छोड़िए, सीमा तो तब पार हो जाती है जब दो व्यक्ति अपने प्रेम को जो की प्रेम नहीं होता उसे राधा कृष्ण के प्रेम का नाम देते हैं जिसके वह बिल्कुल भी लायक नहीं है! हमें तो यह तक नहीं पता कि सच्चा प्रेम क्या है!
हम किसको प्रेम समझते हैं?
जब हम किसी से मिलते हैं, हमें उससे आकर्षक होती है और इसके चलते ही हमें उससे बात करने की इच्छा होती है! हम जब बात करते हैं तो हमें बहुत अच्छा लगता है क्योंकि यह स्वाभाविक है कि जब हमें कोई नया मित्र मिलता है तो सब कुछ नया-नया होता है और हमें नई बातें सुनने को और सुनाने को मिलती है जिसके चलते हमें वह व्यक्ति पसंद आने लगता है और हम उससे एक संबंध जोड़ लेते हैं; हमें उस व्यक्ति से लगाव (attachment) हो जाता है!
इसी के चलते हम उस व्यक्ति को पाने की इच्छा रखने लगते हैं, तो हम उस बंधन को प्रेमी प्रेमिका का नाम दे देते हैं और फिर उस व्यक्ति पर अपना हक जताने लगते हैं; उस व्यक्ति को हर एक तरीके से नियंत्रण में रखकर;उस लगाव के भाव को प्रेम का नाम दे देते हैं!
फिर कुछ समय पश्चात हमें वही व्यक्ति सामान्य लगने लगता है जो कुछ समय पहले हमारे लिए बहुत ही खास हुआ करता था! ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शुरू शुरू में सुनने के लिए और सुनाने के लिए बहुत कुछ होता है और बाद में हमें उस व्यक्ति के अवगुण पता लगने लगते हैं जो कि हर व्यक्ति में होते हैं; पर हमें वह व्यक्ति शुरू में उत्तम लग रहा होता है पर ऐसा असंभव है! प्रेम में यह सब होना असंभव है क्योंकि प्रेम समय के साथ बढ़ता है ना की घटता है!
हमारा प्रेम कोई क्यों समझ नहीं पाता ?
यही एक कारण है कि हमारा प्रेम कोई समझ नहीं पता क्योंकि सच तो यह है कि हम भी किसी से निस्वार्थ प्रेम नहीं कर सकते! हम ऐसा प्रयास तो कर सकते हैं परंतु प्रयास करना भी व्यर्थ है क्योंकि इस संसार में अगर हमने निस्वार्थ प्रेम करा भी तो हम खुद को ही दुख पहुंचाएंगे क्योंकि प्रेम दोनों तरफ से होता है, किसी एक तरफ से नहीं हो सकता! और अगर आप किसी से प्रेम करेंगे भी तो यह तो निश्चित है की सामने वाला व्यक्ति आपको एक न एक दिन धोखा अवश्य देगा! एक दिन वह छोड़कर जरूर जाएगा! चाहे वह उसकी मृत्यु के कारण ही क्यों ना हो या आपकी मृत्यु के कारण ही क्यों ना हो;आप उससे जरूर दूर होंगे! इसीलिए किसी भी मनुष्य से इस संसार में प्रेम करना व्यर्थ है! उससे हम कोई भी बंधन तो जोड़ सकते हैं परंतु सच्चा प्रेम नहीं कर सकते क्योंकि हमारे करें गए प्रेम के पीछे स्वार्थ छुपा होता है किंतु सच्चा प्रेम निस्वार्थ होता है!
सच्चा प्रेम किससे हो सकता है?
पर अगर हम प्रेम ही नहीं करेंगे; तो हमारा इस संसार में रहना ही कठिन हो जाएगा! तो अब प्रश्न यह है कि प्रेम करें तो करें किससे? आपको इस प्रश्न का कहीं ना कहीं उत्तर ज्ञात है; प्रेम करें किसी ऐसे से जो आपको कभी धोखा ना दे, किसी भी परिस्थिति में आपके साथ हमेशा खड़ा रहे , आप उसको बिना किसी संकोच के कुछ भी बता सके और बदले में वह आपका मार्गदर्शन करें और आपकी सहायता करें! ऐसा कौन हो सकता है यह तो निश्चित है कि ऐसा कोई मनुष्य तो नहीं है; जी हां इसका उत्तर है - भगवान (जिन्हें भी आप मानते हैं चाहे वह राम है, कृष्णा है, गुरु नानक देव जी हैं या कोई और) क्योंकि वही ऐसे हैं जो आपको निस्वार्थ प्रेम करते हैं और जिन्हें आप भी निस्वार्थ प्रेम कर सकते हैं!
और जो सच्चे प्रेम के संकेत है वह सब हम एक भक्त और भगवान के प्रेम में देख सकते हैं और खुद भी अनुभव कर सकते हैं!
तो क्या आप भी कोई ऐसे प्रेमी को खोज रहे हैं? तो आज ही भगवान से कोई भी एक संबंध जोड़ लीजिए चाहे वह भाई का हो, माता का हो, पिता का हो या कोई और अन्य संबद्ध!
एक यही उपाय है जिससे आप अपने जीवन में कभी भी अकेले नहीं पड़ेंगे और हमेशा खुश रहेंगे!
बहुत मनुष्यो का यह प्रश्न है कि प्रेम का कोई अस्तित्व है या नहीं? (does love exist ?) तो इसका साफ साफ उत्तर है - नहीं! प्रेम का इस कलयुग में मनुष्य के बीच कोई अस्तित्व नहीं है! यह संसार मैं सब अपना स्वार्थ देखते हैं और कुछ भी नहीं! हरे कृष्ण!
We hope this article helped you to understand what is love ?
Also read our article on Who Am I ? in both english and hindi .
Comments
Post a Comment
If you have any doubts or suggestions, then please let me know.